Monday 21 October 2013

गौरवशाली बिहार

 

 बिहार भारत का एक राज्य है । बिहार की राजधानी पटना है । बिहार के उत्तर में नेपाल, पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश और दक्षिण में झारखन्ड है । इसका नाम बौद्ध विहारों का विकृत रूप माना जाता है । यह क्षेत्र गंगा तथा उसकी सहायक नदियों के मैदानों में बसा है । प्राचीन काल के विशाल साम्राज्यों का गढ़ रहा यह प्रदेश वर्तमान में देश की अर्थव्यवस्था के सबसे पिछड़े योगदाताओं में से एक गिना जाता है । बिहार का ऐतिहासिक नाम मगध है । बिहार की राजधानी पटना का ऐतिहासिक नाम पाटलिपुत्र है । प्राचीन काल में मगध का साम्राज्य देश के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक था । यहां से मौर्य वंश, गुप्त वंश तथा अन्य कई राजवंशो ने देश के अधिकतर हिस्सों पर राज किया । मौर्य वंश के शासक सम्राट अशोक का साम्राज्य पश्चिम में अफ़ग़ानिस्तान तक फैला हुआ था । मौर्य वंश का शासन 325 ईस्वी पूर्व से 185 ईस्वी पूर्व तक रहा । छठी और पांचवीं सदी इसापूर्व में यहां बौद्ध तथा जैन धर्मों का उद्भव हुआ । अशोक ने, बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उसने अपने पुत्र महेन्द्र को बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए श्रीलंका भैजा । उसने उसे पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) के एक घाट से विदा किया जिसे महेन्द्र के नाम पर में अब भी महेन्द्रू घाट कहते हैं । बाद में बौद्ध धर्म चीन तथा उसके रास्ते जापान तक पहुंच गया । बारहवीं सदी में बख़्तियार खिलजी ने बिहार पर अधिपत्य जमा लिया । उसके बाद मगध देश की प्रशासनिक राजधानी नहीं रहा । जब शेरशाह सूरी ने, सोलहवीं सदी में दिल्ली के मुगल बाहशाह हुमांयु को हराकर दिल्ली की सत्ता पर कब्जा किया तब बिहार का नाम पुनः प्रकाश में आया पर यह अधिक दिनो तक नहीं रह सका । अकबर ने बिहार पर कब्जा कर बिहार का बंगाल में विलय कर दिया । इसके बाद बिहार के सत्ता की बागडोर बंगाल के नबाबों के हाथ चली गई । 1857 के प्रथम सिपाही विद्रोह में बिहार के बाबू कुंवर सिंह ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । 1912 में बंगाल विभाजन के फलस्वरूप बिहार नाम का राज्य अस्तित्व में आया । 1935 में उड़ीसा इससे अलग कर दिया गया । स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार के चंपारण के विद्रोह को, अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत फैलाने में अग्रगण्य घटनाओं में से एक गिना जाता है । स्वतंत्रता के बाद बिहार का एक और विभाजन हुआ और सन् 2000 में झारखंड राज्य इससे अलग कर दिया गया । झारखंड के अलग हो जाने के बाद बिहार की भूमि मुख्यतः नदियों के मैदान एवं कृषियोग्य समतल भूभाग है ।
   
बिहार गंगा के पूर्वी मैदान मे स्थित है। भौगोलिक तौर पर बिहार को तीन प्राकृतिक विभागो मे बाटा जाता है। उत्तर का पर्वतीय एवं तराई किनारा, मध्य का विशाल मैदा
न, तथा दक्षिण का पहाड़ी किनारा। उत्तर का पर्वतीय प्रदेश सोमेश्वर श्रेणी है।इस श्रेणी की औसत उचाई ४५५ मीटर है।परन्तु इसका सर्वोच्च शिखर ८७४ मीटर उँचा है।सोमेश्वर श्रेणी के दक्षिण मे तराई क्षेत्र है। यह दलदली क्षेत्र है जहाँ साल वॄक्ष के घने जंगल हैं। इन जंगलों मे प्रदेश का इकलौता बाघ अभयारण्य वाल्मिकी स्थित है। मध्य के मैदान बिहार के ९५% भाग को समेटे हुवे है। भौगोलिक तौर पर इसे चार भागो मे बाटा जा सकता है। १-तराई क्षेत्र, यह सोमेश्वर श्रेणी के तराई मे लगभग १० किलोमीटर चौ़ड़ा कंकर बालु का निक्षेप है। इसके दक्षिण मे उपतराई क्षेत्र है जो प्रायः दलदली है। २-भांगर क्षेत्र, यह पुराना जलोढ़ क्षेत्र है।यह समान्यतः आस पास से ७-८ मीटर उँचा रहता है। ३-खादर क्षेत्र, इसका विस्तार गंडक से कोसी नदी के क्षेत्र तक सारे उत्तरी बिहार मे है।प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ के कारण यह क्षेत्र बहुत उपजाउ है। परन्तु इसी बाढ़ के कारण यह क्षेत्र तबाही के कगार पर खड़ा है। गंगा नदी राज्य के लगभग बीचों बीच होकर बहती है । उत्तरी बिहार बागमती,कोशी, गंडक, सोन और उनकी सहायक नदियों का समतल मैदान है । बिहार के उत्तर में हिमालय पर्वत श्रेणी (नेपाल) है तथा दक्षिण में छोटानागपुर पठार (जिसका हिस्सा अब झारखंड है ) । उत्तर से कई नदियां तथा जलधाराएं बिहार होकर प्रवाहित होती है और गंगा में विसर्जित होती हैं । इन नदियों में, वर्षा में बाढ़ एक बड़ी समस्या है । राज्य का औसत तापमान गृष्म ऋतु में 35-45 डिग्री सेल्सियस तथा जाड़े में 5-15 डिग्री सेल्सियस रहता है । जाड़े का मौसम नवंबर से मध्य फरवरी तक रहता है । अप्रैल में गृष्म ऋतु आरंभ हो जाती है जो जुलाई के मध्य तक चलती है । जुलाई-अगस्त में वर्षा ऋतु का आगमन होता है जिसका अवसान अक्टूबर में होने के साथ ही ऋतु चक्र पूरा हो जाता है ।

 उत्तर में भूमि प्रायः सर्वत्र उपजाऊ एवं कृषियोग्य है । धान, गेंहू, दलहन, मक्का, तिलहन,तम्बाकू,सब्जी तथा कुछ फलों की खेती की जाती है । हाजीपुर का केला एवं मुजफ्फरपुर की लीची बहुत प्रसिद्ध है| भारत के उत्तरी-पुर्वि भाग मे गन्गा के निम्न और मध्य बेसिन मे २४० २०` १०`` उत्तरी अक्षांश से २७० १९`-५०`` पूर्वी देशान्तर से ८८० बिहार की संस्कृति मैथिली, मगही, भोजपुरी,बज्जिका, तथा अंग संस्कृतियों का मिश्रण है । नगरों तथा गांवों की संस्कृति में अधिक फर्क नहीं है । नगरों के लोग भी पारंपरिक रीति रिवाजों का पालन करते है । प्रमुख पर्वों में महाशिवरात्री,नागपंचमी,दशहरा, दिवाली,छठ, श्री पंचमी,होली, मुहर्रम, ईद तथा क्रिसमस हैं । सिक्खों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी का जन्म स्थान होने के कारण पटना में उनकी जयन्ती पर भी भारी श्रद्धार्पण देखने को मिलता है । जातिवाद बिहार की राजनीति तथा आमजीवन का अभिन्न अंग रहा है । पिछले कुछ वर्षों में इसका विराट रूप सामने आया था । वर्तमान में काफी हद तक यह भेदभाव कम हो गया है । इस जातिवाद के दौर की एक ख़ास देन है - अपना उपनाम बदलना । जातिवाद के दौर में कई लोगों ने अपने नाम से जाति स्पष्ट न हो इसके लिए अपने बच्चों के उपनाम बदल कर एक संस्कृत नाम रखान आरंभ कर दिया । इसके फलस्वरूप कई लोगों का वास्तविक उपनाम शर्मा,मिश्र, वर्मा, झा, सिन्हा, श्रीवास्तव, राय इत्यादि से बदलकर प्रकाश, सुमन, प्रभाकर, रंजन, भारती इत्यादि हो गया ।

फिल्मों की लोकप्रियता बहुत अधिक है । फिल्मों के संगीत भी बहुत पसन्द किये जाते हैं । मुख्य धारा हिन्दी फिल्मों के अलावा भोजपुरी ने भी अपना प्रभुत्व जमाया है । मैथिली तथा अन्य स्थानीय सिनेमा भी लोकप्रिय हैं । अंग्रेजी फिल्म नगरों में ही देखा जाता है ।

शादी विवाह के दौरान हीं प्रदेश की सांस्कृतिक प्रचुरता स्पष्ट होती है । शादी में बारात तथा जश्न की सीमा समुदाय तथा उनकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है । लोकगीतों के गायन का प्रचलन लगभग सभी समुदाय में हैं । आधुनिक तथा पुराने फिल्म संगीत भी इन समारोहों में सुनाई देते हैं । शादी के दौरान शहनाई का बजना आम बात है । इस वाद्ययंत्र को लोकप्रिय बनाने में बिस्मिल्ला खान का नाम सर्वोपरि है, उनका जन्म बिहार में ही हुआ था ।
     बिहार अपने खानपान की विविधता के लिए प्रसिद्ध है । शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनो व्यंजन खाये जाते हैं । खाजा, मोतीचूर का लड्डू, सत्तू, लिट्टी-चोखा यहां के स्थानीय व्यंजनों में आते हैं ।
क्रिकेट भारत के अन्य कई जगहों की तरह यहां भी सर्वाधिक लोकप्रिय है । इसके अलावा फुटबॉल, हाकी, टेनिस और गोल्फ भी पसन्द किया जाता है । बिहार का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण होने के कारण पारंपरिक भारतीय खेल, जैसे कबड्डी, गिल्ली डंडा, गुल्ली (कंचे) बहुत लोकप्रिय हैं ।
देश के सबसे पिछड़े औद्योगिक क्षेत्रों में से एक बिहार के लोगों का मुख्य आयस्रोत कृषि है । इसके अतिरिक्त असंगठित व्यापार, सरकारी नौकरियां तथा छोटे उद्योग धंधे भी आय के स्रोत हैं । पिछले कुछ दशकों में बेरोजगारी बढ़ने से आपराधिक मामलों में वृद्धि आई है और जबरन पैसावसूली (जिसे स्थानीय रूप से रंगदारी कहते है), अपहरण तथा लूट जैसे धंधे भी लोगों की कमाई का साधन बन गए हैं । एक समय बिहार शिक्षा के प्रमुख केन्द्रों में से एक माना जाता था । पिछले कुछ दिनों में शैक्षणिक संस्थानों में राजनीति तथा अकर्मण्यता के प्रवेश करने से शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है । 

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