Monday 12 October 2009

लड़कियों को समाज में सामान अधिकार


लड़कियों को समाज में सामान अधिकार मिलना चाहिए उन्हें भी वही आजादी वही सम्मान मिलना चाहिए जो लड़को को मिलता है !हमारा भारत पुरुष प्रधान देश माना जाता रहा हैं लकिन अब भारत धीरे-धीरे अपनी सोच बदल रहा है और महिलाओ की भागीदारी भी समाज में बढ़ी हैं, महिलाओ ने हरेक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा उजागर किया है ! इसके कई उदाहरण हैं जो इस बात को झुठला रहा हैं की हमारा पुरुष प्रधान देश हैं ! क्योकि आज भारत की प्रथम नागरिक एक महिला है और भारत की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की अध्यक्ष भी एक महिला हैं ! भारत के कई राज्य की मुख्य मंत्री भी महिला हैं !महिलाओ की भागीदारी बढाने के किये महिलाओ को हरेक क्षेत्र में आरक्षण दिया जा रहा हैं!
किसी भी देश या प्रान्त में बदलाव का सबसे बड़ा कारन होता हा वह के लोल्गो के सोच में बदलाव !
बिहार - इस क्षेत्र में भी पीछे हैं आज भी बिहार में लड़कियों को वो सम्मान नहीं मिल रहा हैं जो मिलना चाहिए इसका सबसे बड़ा कारन हैं लोगो के सोच में आज भी नहीं बदला हैं !
अगर बिहार में लड़को और लड़कियों को समाज एक नजर से देखने लगे तो मैं दावे के साथ कह सकता हु की बिहार ही नहीं बल्कि देश की बहूत साड़ी समस्याए अपने आप ख़त्म हो जायेगी ! इसका सबसे बड़ा असर बिहार की जनसँख्या पर पड़ेगी , इससे बिहार की जनसँख्या काफी हद तक कम हो जायेगी !
सबसे बड़ी समस्या ये हैं की बिहार के पड़े लिखे लोग भी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं की बेटा और बेटी एक जैसे होते हैं , उन्हें तो सिर्फ बेटा चाहिए ! बंश चलाने के लिए बेटी नहीं, बेटा चाहिए क्यों की उन्हें लगता हैं इससे उनका बंश आगे नहीं बढेगा ! दूसरा कारण हैं बुढापे में उन्हें सहारा कौन देगा ऐसे कई सबालो ने लोगो के सोच को ताला लगा दिया हैं जिसके कारण वे इस तत्व से बहार नहीं निकल पा रहे हैं ! बेटे की चाह ने लोगो के सोच को इस तरह से जकड रखा हैं की उन्हें और कुछ समझ नहीं आता हैं ! बिहार के पढ़े लिखे लोगो के भीं ४-४ , ५-५ बेटिया हैं इसमें उनका बेटियो के प्रति प्यार नहीं हैं बल्कि उन्हें बेटे की चाह ने ५-५ बेटियों के माँ-बाप बना दिया हैं!
यदि लड़कियों को समाज सामान नजर से देखती तो शायद ये नौबत नहीं होती बिहार की जो आज हैं , बिहार भी एक बिकसित राज्य होती !
मेरी व्यक्तिगत राय हैं की बेटा हो या बेटी सिर्फ एक संतान होना चाहिए आप उसे अच्छी परवरिश दीजिये , बिटिया भी आज बहूत कुछ कर सकती हैं जो बेटा नहीं कर सकता ! मैं इस बात खुले मन से कहता हु की बेटिया अपने माँ-बाप के प्रति ज्यादा सजग रहती हैं और अपने माँ-बाप का सम्मान भी बेटे से कही अधिक करती हैं फिर बेटे को ही समाज प्राथिमिकता दे रही हैं !
यदि आपके एक बच्चे होंगे तो आप उस पर और अपने आप पर ज्यादा ध्यान दे पायेगे ! ज्यादा बच्चो की वजह से माँ-बाप की खुद की जिन्दगी सिमट कर रह जाती हैं क्यों की आप अपनी साड़ी जिन्दगी बच्चो के खाने-पीने , और बच्चो के लिए दबा इया जुटाने में लगा देते हैं !
सिर्फ एक सोच से पुरे समाज में बदलाव आ सकता हैं और आज समाज के किसी चीज को सबसे पहले बदलने की जरुरत हैं तो वह हैं लोगो की सोच को ! तभी हमारा बिहार प्रगति कर सकता हैं और लड़कियों को समाज में सा सामान अधिकार मिलमा सकता हैं
अधिकार मिल सकता हैं

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