Friday 1 October 2010

बिहार का आधुनिक इतिहास


परिचय- बिहार पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक धरोहरों और धर्म अध्यात्म व संस्कृति का केन्द्र स्थान है । बिहार अपने ऐतिहासिक गौरव, सांस्कृतिक वैभव, प्राकृतिक सुन्दरता व जीव-जन्तुओं की विविधता से पर्यटकों के लिए स्वर्ग माना जाता है । यहाँ की गौरवशाली परम्पराएँ, समृद्ध संस्कति, विलक्षण रीति-रिवाज व सामजिक जीवन-पद्धतियाँ, मेले, पर्व, त्यौहार सदियों से देशी-विदेशी यात्रियों को आकर्षित करते रहे हैं


बिहार के पर्यटन स्थल को क्रमशः ए, बी तथा श्रेणी सी में विभाजित किया जा सकता है-
ए- श्रेणी में वैसे पर्यटक स्थल आते हैं जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के होते हैं । ये स्थल वैशाली, बोधगया, नालन्दा, राझगीर, पटना और विक्रमशिला आदि हैं ।
बी- श्रेणी के पर्यटक स्थल वे सभी हैं जो राष्ट्रीय स्तर के हैं । ये स्थल हैं- रोहतास, मुंगेर, पावापुरी, सीतामढ़ी, सुल्तानगंज, बक्सर, सासाराम, हाजीपुर, मधुबनी आदि ।
सी- श्रेणी के अन्तर्गत वे सभी पर्यटक स्थल आते हैं जो राज्यस्तरीय होते हैं ।
बिहार राज्य में निम्नलिखित प्रमुख पर्यटक हैं-
पटना- यह बिहार की राजधानी है । अजातशत्रु का पुत्र उदयभद्र ने ४४४-४६० ई. पू. में पाटलिपुत्र नगर की स्थापना की और अपनी राजधानी बनायी । पटना में अनेकों ऐतिहासिक स्थल, सिखों के दसवें गुरु का जन्म स्थल तथा प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं ।
राजगीर- यह पर्यटक स्थल गर्म झरनों के लिए प्रसिद्ध है । सर्दियों में उत्तम भ्रमण स्थल व आरोग्य स्थल कहा जाता है । यहाँ प्रथम विश्‍व बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था । यहाँ जैन व हिन्दुओं के अनेक स्थल हैं ।
नालन्दा- यहाँ प्राचीनकाल में एक विश्‍वविद्यालय था जहाँ देश-विदेश से छात्र पढ़ने आते थे । अभी इसका अवशेष दिखलाई पड़ता है ।
गया- यहाँ हिन्दुओं का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है । यहाँ देश-विदेश से लोग आकर पूर्वजों की आत्मा को पिण्डदान करके उनके प्रति अपने अन्तिम कर्तव्य को पूरा करते हैं । भगवान रामचन्द्र ने अपने पिता दशरथ के लिए यहाँ पिण्डदान किया था ।
बक्सर- यहाँ प्राचीन विख्यात गुरु विश्‍वामित्र का आश्रय था जहाँ राम और लक्ष्मण को प्रारम्भिक शिक्षण-प्रशिक्षण मिला था । प्रसिद्ध ताड़का राक्षसी का राम द्वारा वध किया गया था । १७६४ ई. का बक्सर युद्ध भी प्रसिद्ध है ।
मनेर- यह बिहार की राजधानी पटना से २९ किमी. की दूरी पर स्थित है जहाँ शाह दौलत और शेख याहिया मनेरी का मकबरा है ।
मधुबनी- यह शहर मधुबनी चित्रकला के लिए विश्‍वविख्यात है । २००३ ई. में लन्दन में आयोजित कला प्रदर्शनी में मधुबनी पेंटिंग्स को सराहा गया था ।
मुंगेर- यहाँ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक किला व स्थल है तथा विश्‍व प्रसिद्ध योग विश्‍वविद्यालय भी है । यह प्राचीन अंग साम्राज्य का प्रमुख केन्द्र था ।
लौरिया आरेराज- यहाँ सम्राट अशोक द्वारा निर्मित अशोक स्तम्भ हैं ।
सोनपुर- यहाँ कार्तिक महीने में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है तथा प्रसिद्ध ऐतिहासिक हरिहरनाथ का मन्दिर है ।
वैशाली- यह शहर विश्‍व का प्राचीनतम गणतन्त्र (छठी सदी ई. पू.) के लिए प्रसिद्ध है । प्रसिद्ध जैन तीर्थंकर महावीर का जन्म स्थल है । अनेक ऐतिहासिक अवशेष यहाँ हैं ।
वाल्मीकि नगर- यह स्थल वाल्मीकि मुनि के जन्म स्थल के लिए प्रसिद्ध है । प्राचीन काल में यहाँ वाल्मीकि मुनि का आश्रम था । यहाँ एक प्रसिद्ध अभयारण्य भी है ।
विक्रमशिला- यह भागलपुर जिले में गंगा तट पर स्थित है । प्राचीनकाल में विख्यात विक्रमशिला विश्‍वविद्यालय अवस्थित था । यहाँ उसके ऐतिहासिक अवशेष अब भी मौजूद हैं ।
जीरादेयू- देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म स्थल है ।
सासाराम- सूर वंश के संस्थापक अफगान शासक शेरशाह का मकबरा है तथा देश का प्रसिद्ध ग्रांड ट्रंक रोड भी इसी शहर से गुजरता है ।
सीतामढ़ी- यह शहर हिन्दुओं का प्रमुख तीर्थ स्थल है । सीतामढ़ी के पूनौरा नामक स्थान पर राजा जनक द्वारा खेत में हल जोतने के समय धरती से सीता का जन्म हुआ था । सीता जी के कारण शहर का नाम सीतामढ़ी पड़आ ।
विसपी- यह स्थान मधुबनी/दरभंगा जिले में स्थित है । यहाँ प्रसिद्ध मैथिली कवि विद्यापति का जन्म हुआ था|
पावापुरी- यह पटना से १०४ किमी. और नालन्दा से २५ किमी दूरी पर स्थित है । यहीं जैन धर्म के प्रवर्तक महावीर जी ने निर्वाण प्राप्त किया था । यहाँ जल मन्दिर, मनियार मठ तथा वेनुवन दर्शनीय स्थल हैं ।
बरौनी- यह उत्तरी बिहार का एक प्रमुख औद्योगिक नगर है । यहाँ विशाल तेल शोधन कारखाना, गंगा पुल (सड़क और रेल) है ।
भागलपुर- यह बिहार के ऐतिहासिक नगरों में एक है । भागलपुर विश्‍वविद्यालय तथा बरारी की गुफाएँ यहाँ दर्शनीय एवं शिक्षा केन्द्र हैं । विष्णु मन्दिर (द. जंगल में स्थित पहाड़ी पर), अखीत्रैवीनाय का शिव मन्दिर (सुल्तानगंज) प्रसिद्ध है । यहाँ तसर रेशम का उत्पादन होता है ।
आरा- यह पटना से ३२ मील की दूरी पर स्थित है । यहाँ दर्शनीय स्थलों में आरण्य देवी, मढ़िया का राम मन्दिर भी प्रसिद्ध है ।
कटिहार- कटिहार जिले में बरारी गुरु बाजार का गुरुद्वारा अत्यन्त प्रसिद्ध है । सिखों के नवें गुरु तेगबहादुर द्वारा लंगर का आयोजन किया गया था । सालमारी स्टेशन के निकट भगवान शिव का गोरखनाथ मन्दिर, रानी इन्द्रावती की राजधानी सौरिया प्रसिद्ध स्थल हैं ।
बिहार शरीफ- यह स्थल पटना से ८५ किमी. की दूर दक्षिण-पूर्व में स्थित है । यह मुस्लिम संस्कृति का प्रमुख केन्द्र है । यहाँ मखदूम साहब की दरगाह तथा मलिक इब्राहिम वयाँ का मकबरा है ।
पूर्णिया- यह महाभारत कालीन धर्म-स्थल था । यह उत्तर-पूर्वी बिहार में स्थित है जहाँ से नेपाल जाने का मार्ग है । बनभाखी के सिकलीगढ़ धरोहर प्राचीन गरिमापूर्ण सभ्यता और संस्कृति का स्थल है ।
यहाँ हिरण्य कश्यप का गढ़, भगवान नृसिंह अवतार स्थल, मानिक धाम (ये अवस्थित प्रहलाद स्तम्भ), माँ भगवती ५२ सिंह एक-एक सिद्धपीठ स्थित है । पूरण देवी का मन्दिर स्थित है ।
प्रमुख दर्शनीय स्थल
पटना का गोलघर- इसका निर्माण १७८६ ई. में अनाज भण्डारण के लिए किया गया था । गोलघर का कैप्टन जॉन गार्स्टिन ने निर्माण किया था । यह पटना के उत्तर-पश्‍चिम भाग में स्थित है ।
तख्त हरिमन्दिर- सिक्ख आस्था से जुड़ा यह एक ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल है । यहाँ सिक्खों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह का जन्म स्थल है । गुरु गोविन्द सिंह का जन्म २६ दिसम्बर, १६६६ शनिवार को १.२० माता गुजरी के गर्भ से हुआ था । उनका बचपन का नाम गोविन्द राय था । यहाँ महाराजा रंजीत सिंह द्वारा बनवाया गया गुरुद्वारा है जो स्थापत्य कला का सुन्दर नमूना है ।
पटना म्यूजियम- पटना म्यूजियम की स्थापना १९१७ ई. में बिहार-उड़ीसा के तत्कालीन एडवर्ड गेट द्वारा की गई थी । यहाँ दुर्लभ सामग्री के साथ-साथ प्राचीन सभ्यता-संस्कृति का संग्रह भी है ।
देव मन्दिर- यह दर्शनीय स्थल औरंगाबाद जिले में स्थित है । यह कोणार्क मन्दिर कि तर्ज पर बना सूर्य मन्दिर है । यहाँ पर प्रयाग के राजा औलिया को भयानक कुष्ठ रोग से मुक्‍ति मिली थी ।
रोहतास का किला- यह बिहार के अफगान शासक शेरशाह सूरी द्वारा बनवाया गया किला है । यह किला शाहजहाँ, मानसिंह तथा मीरकासिम और उसके परिवार को सुरक्षा प्रदान करता था । इस किले में ८४ गलियारे व १४ मुख्य द्वार हैं । यहाँ बीच तालाब में बना मकबरा है ।
मुंगेर का किला- यह मीरकासिम की राजधानी रहा है । चन्द्रगुप्त ने मुंगेर की स्थापना की और इसकी राजधानी चम्पा नगर थी । मुंगेर में मुगलकालीन किला है ।
सोनपुर का मेला- यहाँ एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है । यह मेला कार्तिक पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर एक महीने से अधिक समय तक चलता है । यहाँ विभिन्‍न प्रकार के पशु-पक्षी की खरीद-बिक्री की जाती है ।
सोमनाथ मन्दिर- यह मिथिलावासियों का महत्वपूर्ण मन्दिर है । यहाँ सौराठ मेला लगता है । यहाँ गुजरात की तरह ही भगवान शिव का एक मन्दिर बना है ।
अहिरौली- यहाँ बक्सर में माता अहिल्या का मन्दिर है । यहाँ पर ही भगवान राम ने गौतम की पत्‍नी का उद्धार किया था। खिचड़ी उत्सव के अवसर पर यहाँ मेला लगता है ।
मधुबनी में उच्चैढ माँ का मन्दिर- किंवदंति है कि महाकवि कालिदास द्वारा देवी की उपासना की गयी थी । यहाँ मस्तक विहीन छिन्‍न मस्तिका देवी का एक प्राचीन मन्दिर है ।
सीतामढ़ी में राम-जानकी मन्दिर- यह माँ सीता का जन्म स्थल है । यहीं पर राम-जानकी मन्दिर निर्मित है ।
रोहतास में मोलुनी धाम- यह स्थल विक्रमगंज के निकट मोलूनी ग्राम में स्थित है । यहाँ पर माँ पार्वती का प्राचीन मन्दिर है और अक्टूबर और अप्रैल में मेला लगता है ।
कैमूर का मंडेश्‍वरी मन्दिर- यह स्थल ममूआ से १० किमी. दक्षिण-पश्‍चिम कैमूर जिला में स्थित है । यहाँ भगवानपुर प्रखण्ड में एकान्त पहाड़ी के शिखर पर माता मुंडेश्‍वरी का प्राचीन मन्दिर है ।
शिवहर में देवकूली शिव मन्दिर- यहाँ प्राचीन भगवान शिव का मन्दिर स्थित है । राजा द्रूपद का किला भी यहीं है ।
समस्तीपुर का कुशेश्‍वर का मन्दिर- यहाँ भगवान शिव प्राचीन मन्दिर स्थित है